सवैया छंद
आइये आज चर्चा करते हैं सवैया छंद पर सवैया छंद क्या है ? सवैया छंद के भेद कितने हैं ?
सबसे पहले आते है सवैया क्या है ? सवैया चार चरणों का समतुकान्त वर्णिक छंद है, वर्णिक छंदों में २२ से २६ अक्षर वाले छंदो को सवैया नाम से जाना जाता है अर्थात् अन्य से सवाया [ 1^(1/4) ] माना जाता है। सवैया मुख्यतः १४ प्रकार के होते हैं। इसके अतरिक्त १५वां प्रकार उपजाति सवैया होता है। आइये इन छंदो के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन करें-
भगण सात , गुरु एक रख, चार चरण आधार |दस, बारह पर यति रहे, चख मदिरा रसधार ||-नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष
इस छंद के चार चरण होते है प्रत्येक चरण में सात भगण (गुरु + लघु +लघु ) के साथ एक गुरु (कुल बाईस वर्ण ) रखने से मदिरा सवैया बनता है। अर्थात भगण X 7 + S (गुरु +लघु +लघु की सात बार आवृति + गुरु वर्ण ) कुल = २२ वर्ण प्रति पंक्ति रखने से मदिरा छंद का निर्माण होता है।
उदहारण :-
स्नान करें मिल साथ सभी, जल निर्मल ये तटनी तट है
बाँट ख़ुशी खुशहाल रहे, सब व्यर्थ बड़ा यह झंझट है
वक्त रहा कब कौन सगा, तब वक्त मिला यह उद्भट है
जीवन है जितना सबका, रह साथ जिये उनको रट है
मदिरा सवैया [Madira-Savaiya] |
२. मत्तगयंद सवैया [ Mattgyand-Savaiya ] :-
सात भगण के संग में, दो गुरु लेऊ बिठाय |छंद मत्तगयंद बने, लेना मित्र रचाय ||
यह छंद क्रमशः सात भगण (211) एवं दो गुरुओं के योग से बनता है, अर्थात इस छंद में सात भगण और दो गुरु कुल २३ वर्ण प्रति पंक्ति होते हैं ।
उदहारण :-
काल कराल कमाल करे, कब भक्त कपालि अकाल सतावै
प्रेम, प्रभूति, पराक्रम औ, परिख्याति , परंजय, पौरुष पावै
भाव भरी, मनसे, भगती, भय, भूत, भजा, भवभूत मिलावै
ध्यान धरौ नित शंकर कौ, सब कालन कौ यह काल कहावै
03. सुमुखी सवैया [ Sumukhi-Savaiya ] :-
04. दुर्मिळ सवैया [ Durmil Savaiya ]:-05. किरीट सवैया :-
06. मुक्तहरा सवैया :-
07. गंगोदक सवैया :-
08. वाम सवैया :-
09. सुंदरी सवैया :-
10. अरसात सवैया :-
11. अरविन्द सवैया :-
12. मानिनी सवैया :-
13. महाभुजंगप्रयात सवैया :-
14. सुखी सवैया :-
15. उपजाति सवैया [ UPJATI SAVAIYA ] :-
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