अतुकांत कविता / नयी कविता लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं

अभिव्यक्ति की आजादी (freedom of Manifestation)

------------------------------------------- अभिव्यक्ति के नाम पर, परोसी जा रही है, फूहड़ता,अब बदल चुका है, वह संकल्प, जो लिया था कभी, सभ्य समाज, और उसकी पुष्टता का, कभी दीपक बन, उजाला करने के, संजोये थे ख्वाब, मगर, लोकप्रियता की दीमक, चट कर रही है, धीरे … Read more »

जिंदगी (कविता)

जिंदगी कभी धूप की तरह , खिल उठती है , वो .... फूलों की मुस्कराती है , बारिश बनकर , तपती धरा को , संतृप्त कर देती है , घोल देती है फिजाओं में महक , कर देती है सुगन्धित , तन , मन , बेहिसाब लुटाती है , प्यार अपना , कभी … Read more »

अतुकांत कविता : शरीर

शरीर   हजारों लीटर पानी , उड़ेला गया बेहिसाब , महंगे साबुनों से पखारा , कई प्रकार के तेल , इत्र छिड़के गये , धूल , मिटटी से दूर , सूरज से छुपाये रखा , कभी ऐसा दिन नही , जब सँवारा न गया हो यह बदन , घिस घिस कर इसको उज्ज्… Read more »

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