आजाऔ मिलबे सजन, जमना जी के पार तड़प रही हूँ विरह में, करके नैना चार कैसे आऊँ मैं प्रिया, जमना जी के पार घायल मोहे कर गए, तेरे नयन कटार तुम तौ घायल है गए, देख कोउ कौ रूप मैं बैरानिया हूँ बनी, तेरी जग के भूप मै… Read more »
आजाऔ मिलबे सजन, जमना जी के पार तड़प रही हूँ विरह में, करके नैना चार कैसे आऊँ मैं प्रिया, जमना जी के पार घायल मोहे कर गए, तेरे नयन कटार तुम तौ घायल है गए, देख कोउ कौ रूप मैं बैरानिया हूँ बनी, तेरी जग के भूप मै… Read more »
लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष श्रोत्रिय निवास, बया…
प्रोफ़ाइल देखेंउत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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