सुमिरू तुमको हंसवाहिनी,मनमोहन,गुरुवर, गिरिराज ।
                        
                        
पंचदेव, गृहदेव, इष्ट जी,मंगल करना सारे काज ।।
                      पंचदेव, गृहदेव, इष्ट जी,मंगल करना सारे काज ।।
                        बाल नवीन करे विनती यह,रखना   देवो   मेरी   लाज ।
उर भीतर के भाव लिखूँ मैं,आल्हा छंद संग ले आज ।।
                      उर भीतर के भाव लिखूँ मैं,आल्हा छंद संग ले आज ।।
                        देश,वेश,परिवेश बदल दो,सोच बिना कछु नही सुहाय ।
मधुर बोल मन प्यारे होते,देते वह सब को हर्षाय ।।
मधुर बोल मन प्यारे होते,देते वह सब को हर्षाय ।।
                        मन पीड़ा  है मन से भारी,मनन करो मारग मिल जाय ।
आत्म बोध चिंतन से मिलता,जो करते वह लेते पाय ।।
                      आत्म बोध चिंतन से मिलता,जो करते वह लेते पाय ।।
                        क्षणिक  सुंदरी  काया माया,डाले बैठी भ्रम  का जाल ।
जो इनके पाशे में पड़ते,उनका अंत बुरा ही हाल ।।
                      जो इनके पाशे में पड़ते,उनका अंत बुरा ही हाल ।।
                        आशय क्या जीवन का समझो,जो तुमको है सुख की चाह ।
राम नाम धन साँचो जग में,ध्यान धरे तर जाता काह ।।
                      राम नाम धन साँचो जग में,ध्यान धरे तर जाता काह ।।
                        दया  धर्म  मन के  आभूषण,धारे  मन सुंदर हो जाय ।
यश समृध्दि मान बढ़े अरु,अंत ईश को लेता पाय ।।
                      यश समृध्दि मान बढ़े अरु,अंत ईश को लेता पाय ।।
                        नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
                    श्रोत्रिय निवास बयाना



 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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