सीमायें : Border
छंद : तांटक, रस-वीर,गुण-ओज
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खादी पहने घूम रहे कुछ, जो चोरो के भाई हैं
ऐसे लोगो के कारण ही,दुख की बदली छाई हैं
ऐसे लोगो के कारण ही,दुख की बदली छाई हैं
चेत करो अब सोये शेरो,इन्हें सबक सिखलाना है
नमक हरामी करने वालो,को मतलब बतलाना है
कुर्सी पाने की खातिर ये,अपनो से लड़ जाते है
देश प्रेम अरु देश द्रोह ये, हम सबको सिखलाते है
कहा किसी ने यहाँ न ऐसा, क्यों मानवता रोती है
दीन, हीन,अरु, भूखों की ही, बस सीमायें होती है
क्रमशः
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006
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