हिंदी   की    जय   बोलो  हिंदी, भाषा  बड़ी सुहानी है
हिंदी   गौरव  हिन्द  देश  का, हिंदी हरि की वाणी है

है  मिठास  हिंदी भाषा मे, पुरखो का यह  मान रही
वीरों का भुजबल थी ये ही, अपना  स्वाभिमान  रही
 
मात  भारती  के  ललाट पे, तेज   लिये  जो  बिंदी है

और  नहीं  दूजी  कोई  वह, केवल   अपनी   हिंदी है

बूढ़ी  आँखे  साक्ष्य  रही वो, जिनमे  जन्मे थे सपने
इंकलाब   से   आजादी  तक,हिंदी  साथ  रही अपने

गैरों  ने  तो  बर्बरता  से, सीने   पर  आघात  किया
भूलो मत भारत के  लालो, हिंदी  ने ही  साथ दिया

बड़े चाव  से  जिसे  सहेजा, वह  जंजीर  गुलामी की
जरा सोचना कीमत क्या है,मौन भरी इस हामी की

बड़े  कष्ट  झेले  थे  तब ही, यह  आज़ादी   पाई   है
बाद गुलाम बने रहने की,कहो ! कसम क्यों खाई है

नाग कालिया  के  कारण ही, तो दूषित  कालिंदी है
सुनो ! देश  के  वीर युवाओं,उसी तरह अब  हिंदी है

हाथ बढाकर हाथ मिलाओ,फिर से स्वप्न सजाना है
सोने की चिड़िया को फिर से,शीर्ष  ताज  पहनाना है

बिना  देर  के तजो  युवाओं,किये  स्वयं  को वंदी हो
बोलो  आनंदित होकर   के, भाषा   केवल  हिंदी हो

✍नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
    श्रोत्रिय निवास बयाना


geetika-Doha
HIndi Love Geetika-Doha