छंद : मदन/रूपमाला
                          विधान : 24 मात्रा, 14,10 पर यति, आदि और अंत में वाचिक 
भार 21 कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत
                        भार 21 कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत
देख  उसको  दिल  मचलता, प्रेम  है  या   भोग
                          बोध  मुझको   इसका   नहीं, कौनसा  यह  रोग
                          देख लेता  जब तक   न  मैं, चित्त को कब चैन
                          चाँद  होगा  अपना  कभी, स्वप्न   बुनती   रैन
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| मदन-रूपमाला छंद | 



 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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