मनमनोरम छंद
रावण उवाच :
देख मेरी दृष्टि से तू जान पायेगा मुझे तब
तारना है कुल मुझे वह वक्त आयेगा चला अब
हूँ कुशल शासक,पुजारी ईश का हूँ मैं अभी भी
राम भव से तारने वापस न आएंगे कभी भी
आस लेकर जानकी जपती रही है नाम जिनका
विष्णु ही सच मे रहे वो,अवतरित ये रूप उनका
कौन है रावण कहो, है भार में वो मात्र, तिनका
पार होना चाहता यदि, तो सुमिर तू राम मनका
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
मनमनोरम छंद |
4 Comments
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 27/04/2019 की बुलेटिन, " यमराज से पंगा - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंजी हार्दिक आभार
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