उत्कर्ष दोहावली
[UTKARSH DOHAWALI]
                          पेड़    हुये   कंक्रीट  के, उजड़े      वन     उद्यान
सन्नाटा अब व्योम में, नहीं मधुर खग गान
सन्नाटा अब व्योम में, नहीं मधुर खग गान
                            कण कण में वह व्याप्त है, हर कण उसका जान
                          
                        
                            खोल  नयन “उत्कर्ष” फिर, कर उसकी  पहचान
                          
                        
                            जन्म सफल करलो सभी, कर  ईश्वर   गुणगान
                          
                        
                            कण कण में है वो    बसा, हर  कण उसका जान
                          
                        
                            सूरज के  आलोक   सम, जग से   हर   अँधियार
                          
                        
                            सदा चाँद सम तुम रखो, शीतल  मृदु    व्यवहार
                          
                          
                            संगी   बिन     सूनी    लगे, ये    अँधियारी   रैन
                          
                          
                            विरह अग्नि है प्रज्ज्वलित, मन को मिले न चैन
                          
                          
                            प्रीतम   प्यारे  जोहती, निशि   दिन   थारी  बाट
                          
                          
                            कब आओगे थे लिखो, (म्हारा) हिवड़ा भरे उचाट
                          
                          
                            क्षरण प्रकृति का हो रहा, उचित   नहीं  परिणाम
                          
                          
                            हम तुम    कारक   हैं रहे, कैसे      लगे    विराम
                          
                          
                            इत उत    आँगन में फिरूँ, नैना     तकते     राह
                          
                          
                            विरहन बन जलती पिया, विरहा  की  नहि  थाह
                          
                        
                              Mr.Naveen Shrotriya"UTKARSH"
                            
                          
                              "उत्कर्ष"
                            
                          
                              Shrotriya Mansion,Bhagwati Colony,
                            
                          
                              श्रोत्रिय निवास, भगवती कॉलोनी,
                            
                          
                              Bayana, Rajasthan 321401
                            
                          
                              बयाना ,राजस्थान ३२१४०१
                            
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| Utkarsh Dohawali | 



 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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