पालीथिन    से   मर रही, गायें  रोज़  हज़ार ।
                          
                          
                            बन्द करो उपयोग अब, नही जीव को मार ।।
                          
                            वर्षो  तक    गलता नही,नही नष्ट जो होय ।
                          
                          
                            दूषित पर्यावरण करे,नाम पॉलिथिन सोय ।।
                          
                            कपडे   का थैला रखो,छोड़ पॉलिथिन आज ।
                          
                          
                            वर्षो   तक गलता नही,दूषित करे समाज ।।
                          
                            मांग   भरी तुझ नाम की,हाथ मेहँदी रंग ।
                          
                          
                            हरे  कांच की चूड़ियां,पहन चली वो संग ।।
                          
                            परिणय   कर  प्रीतम चले,छोड़ उसे,परदेश ।
                          
                          
                            पूछ    रही   वो   गोरडी,कब  आवोगे देश ।।
                          
                            हरे कांच की चूड़ियां,तके  पिया    की राह ।
                          
                          
                            विरह दुख संताप में,पल पल भरती आह ।।
                          
                            लिखी प्रेम की पातरी,सजनी साजन नाम ।
                          
                          
                            सूनो तुम बिन घर लगे,सूनो  सगरो गाम ।।
                          
                            सजन पढ़े जब पातरी,जीव गयो अकुलाय ।
                          
                          
                            जल्द    मिलेंगे  जोगनी,काहे  रही सताय ।।
                          
                            Utkarsh poetry : उत्कर्ष कवितावली
                            
                              
                                
                            
                              
                                
                          
                        |   | 
| Utkarsh Membership | 
|   | 
| Utkarsh Dohawali | 



 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।