आराधना : Aaradhana
दोहा•
प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश ।
यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।।
सुन लो मेरी अरज भवानी । तेरी महिमा जग ने जानी ।।
दूर करो अज्ञान का साया । माता तेरीे दर पे आया ।।
दोहा•
करता में आराधना, माता सुनो पुकार ।
इस मूरख नादान का, कर दो बेडा पार ।।
कृपा करो माँ शेरोवाली । भर दो झोली मेरी खाली ।।
सच्चे मन से जो भी ध्यावे । संकट उसके पास न अावे ।।
विपति पड़ी तब आप उबारा । रूप सहस्त्र लिए अवतारा ।।
तुम ही गौरा आदि भवानी । तुम ही शारद जग कल्याणी ।।
जो भी तेरी शरण में आया । रिद्धि - सिद्दी धन सम्पति पाया ।।
भटक रहा मैं सुनो भवानी । राह दिखाओ माता रानी ।।
दो•
सच के मारग पे चलूँ,छोड़ सभी जंजाल ।
तेरी सेवा में करूँ, चाहे जो हो हाल ।।
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”©
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Bhajan Aradhna |
Utkarsh poetry : उत्कर्ष कवितावली
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